Thursday, January 20, 2011

मेरठ में और तीखी हुई अखबारी जंग

पश्चिमी यूपी की अखबारी दुनिया का केंद्र इन दिनों मेरठ के छीपी टैंक स्थित जनवाणी का दफ्तर बना हुआ है। पत्रकारों को तोडऩे, जोडऩे और मनाने की कवायदों के अलावा क्राइसिस मैनेजमेंट करने में जुटे लोग मेरठ में जनवाणी के आगामी कदमों पर ध्यान रख रहे हैं।
       सूत्र बताते हैं कि जनवाणी के मौजूदा ऑफिस के बाहर जागरण, अमर उजाला और हिंदुस्तान के 'भेदिये' हैं, तो वहीं जागरण, अमर उजाला और हिंदुस्तान के विकेट गिराने में जनवाणी के शीर्ष लोग लगातार कसरत कर रहे हैं। हाल ही में खबर मिली है कि दैनिक जागरण की बागपत ब्यूरो की पूरी टीम ने संपादकीय टीम के इंचार्ज जयवीर तोमर समेत इस्तीफा दे दिया है, जिन्हें मनाने मेरठ से जागरण के पुराने विश्वस्त राजबीर सिंह को बागपत भेजा गया है। अब देखना यह है कि राजवीर सिंह जागरण की कितनी और विकटों को गिरने से बचा पाते हैं।
       उधर करीब एक माह पहले जागरण प्रबंधन से खफा होकर इस्तीफा देने वाले मृदुल त्यागी भी फिर से जागरण की टीम का हिस्सा बन गये हैं। इसी तरह लखनऊ में जागरण के उर्दू अखबार की लांचिंग टलने के बाद नोएडा में कुछ दिन गुजारने वाले पश्चिमी यूपी के धुरंधर पत्रकार रियाज हाशमी भी इस्तीफे के बाद पुन: जागरण में लौट आये हैं।
        खबर है कि जनवाणी ने सभी डेस्कों के लिए अंतिम लिस्ट फाइनल कर ली है। जिसमें हर पद के लिए तीन लोगों को रखा गया है। ताकि एक या दो के वापस अपने पुराने संस्थान पहुंचने पर भी कोई फर्क न पड़े। जागरण से जनवाणी पहुंचे अक्षय और हर्ष कुमार इस लिस्ट को अंतिम रूप दे रहे हैं। अब तक जो खबरें छनकर आई हैं, उनके अनुसार जागरण से जनवाणी पहुंचे अक्षय कुमार को जनरल डेस्क और जागरण के पुराने कर्मचारी व हाल ही में पश्चिमी यूपी के पाक्षिक 'एक कदम आगे' में कार्यरत सचिन श्रीवास्तव को फीचर डेस्क की जिम्मेदारी दी गई है। इन दोनों ने ही अपनी-अपनी टीम फाइनल कर ली है। प्रादेशिक डेस्क और सिटी की टीम की जिम्मेदारी किसे दी गई है इस बारे में अभी पुष्ट खबरें पता नहीं चली हैं।
       उधर जनवाणी में लोगों के आने का सिलसिला लगातार जारी है। जागरण की विभिन्न यूनिट के करीब 40 लोग अगले एक-दो सप्ताह में जनवाणी का हिस्सा बन सकते हैं। हालांकि जागरण प्रबंधन ने इस स्थिति से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं और जागरण का दामन छोडऩे वालों की लिस्टें तैयार करवानी शुरू कर दी हैं। लोगों को रोकने के लिए प्रलोभन और इग्नोरेंस की नीति अपनाई जा रही है। इसके साथ अमर उजाला और हिंदुस्तान ने अपने-अपने 'भेदिये' जनवाणी के दफ्तर के बाहर तैनात कर दिये हैं। जागरण में तो हाल यह है कि जो लोग छुट्टी के लिए एप्लीकेशन देते हैं उनकी हर मूवमेंट पर प्रबंधन कड़ी नजर रख रहा है। छोटी-मोटी गलतियों के अलावा खबर रिपीट होने और हैडिंग गलत होने पर भी जागरण प्रबंधन सख्ती नहीं बरत रहा है।
      सूत्र बताते हैं कि जागरण, अमर उजाला और हिंदुस्तान के कई शीर्ष पदाधिकारी जो जनवाणी का हिस्सा नहीं बनेंगे, लेकिन जनवाणी टीम को पूरी मदद के मूड में हैं। असल में विभिन्न अखबारों में प्रबंधन के बढ़ते जोर के कारण संपादकीय के कई लोग अपने-अपने अखबारों से नाखुश हैं और उन्हें उम्मीद है कि यशपाल सिंह जैसे खांटी और आदर्शवादी पत्रकार के नेतृत्व में जनवाणी में संपादकीय की सत्ता पुन: स्थापित होगी और अन्य अखबारों की भी आंखें खुलेंगी। अगर जनवाणी अखबार सफल होता है तो यह संपादकीय टीम की मैनेजमेंट पर जीत के रूप में देखा जाएगा। यशपाल सिंह के व्यक्तिगत संबंधों के कारण भी कई पुराने दिग्गज उन्हें परदे के पीछे से भरपूर सहयोग कर रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि जागरण, उजाला व हिंदुस्तान प्रबंधन की मीटिंग खत्म होते ही मीटिंग में डिस्कस हुए मुद्दों और उनकी रणनीति यशपाल सिंह के पास पहुंचा दी जाती है।

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